Nine girls from Chhattisgarh selected in National Camp of Hockey India, May get chance soon in National team soon – नहीं रोक पाई बाधाएं: नक्सल प्रभावित इलाकों से निकलकर छत्तीसगढ़ की बेटियां नेशनल टीम में आएंगी नजर

नहीं रोक पाई बाधाएं: नक्सल प्रभावित इलाकों से निकलकर छत्तीसगढ़ की बेटियां  नेशनल टीम में आएंगी नजर

हॉकी के गुर सीखतीं जोश-जज्बे से भरीं छत्तीसगढ़ की बेटियां

पुरुष हॉकी (Hockey) में भले ही पंजाब का दबदबा नजर आता हो, लेकिन भारत की नेशनल महिला हॉकी टीम में जल्द ही छत्तीसगढ़ (Chhatisgarh) राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों की लड़कियां दमखम दिखाती नजर आ सकती हैं. आईटीबीपी (ITBP) के प्रशिक्षण के बाद राज्य के नौ लड़कियों का नेशनल हॉकी ट्रेनिंग कैंप में चयन हुआ है. लड़कियों ने बेहतर संसाधनों और अभ्यास के बेहतर मैदान उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजीजू से मदद का अनुरोध किया है. 

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छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में जब 2016 में आईटीबीपी ने इन लड़कियों को प्रशिक्षित करने का बीड़ा उठाया तो उस वक़्त ये हॉकी स्टिक पकड़ना भी नहीं जानती थीं. न ही इन्हें जूते पहन कर खेलना ही आता था. लेकिन अब तक आईटीबीपी ने 8 से 17 वर्ष तक की उम्र की 50 से ज्यादा जनजातीय बालिकाओं को हॉकी में पारंगत कर दिया है.

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नक्सल प्रभावित इलाके में तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की 41वीं बटालियन की लगातार मेहनत और जोश-जज्बे से लबरेज लड़कियों का पसीना बहाना रंग ला रहा है. जिले के मर्दापाल के कन्या आश्रम में पढ़ रहीं 9 बालिकाओं का चयन जल्द ही आयोजित होने वाले राष्ट्रीय सब जूनियर और जूनियर हॉकी चयन शिविर के लिए हुआ है, जो इनके लिए सपने के सच होने जैसा है .

आईटीबीपी ने 4 साल पहले इन बालिकाओं को हॉकी का प्रशिक्षण देना प्रारंभ किया था I 14 से 17 वर्ष की उम्र की इन बालिकाओं को अब हॉकी इंडिया ने पहचान दी है और इनकी प्रतिभा को आंकते हुए इन्हें स्थायी पहचान पत्र भी जारी कर दिया है.  इन लड़कियों के नाम सेवंती पोयम, तनिषा नाग, सुकमती मंडावी, सुकरी मंडावी, सुमनी कश्यप, सुलोचना नेताम, सावित्री नेताम, संजिनी सोडी और धनेस्वरी कोर्राम हैं. ये बड़े नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बसे मुख्य मार्गों से 35 किलोमीटर तक अन्दर बसे दुर्गम ग्रामीण इलाकों से हैं और इनके घर सुदूर जंगलों में हैं. कम संसाधनों और हेलिपैड पर मैदान बनाकर आईटीबीपी के कोच हेड कांस्टेबल सूर्या स्मिट ने इन बालिकाओं को प्रशिक्षित किया है.

 

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